दिनांक- 20/07/2015
अरुण कुमार मिश्र
वामपंथी दलों सी॰पी॰आई॰(एम॰), सी॰पी॰आई॰, सी॰पी॰आई॰(माले), एस॰यू॰सी॰आई॰(कम्युनिस्ट), फारवर्ड ब्लाक, आर0एस0पी0 द्वारा पिछले तीन महीनों से केन्द्र एवं बिहार सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ चलाये गये अभियानों, प्रदर्शनों, संघर्षों, जन कार्रवाइयों के बाद 21 जुलाई के बिहार बंद को बिहार की मेहनतकश जनता, किसानों,ा खेतिहर मजदूरों, असंगठित तबके के मजदूरों, समाज के दबे, कुचले लोगों का व्यापक समर्थन मिला।
भारत सरकार की जनविरोधी नीतियों की पोल अब आम जनता के बीच उजागर होने लगी है। तमाम विरोधों के बावजूद केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा काला भूमि अधिग्रहण विधेयक को बार-बार अध्यादेश के जरिये लागू करने, ललित मोदी कांड में शरीक केन्द्र की विदेश मंत्री, वसुंधरा राजे सिंधिया, व्यापम घोटाले में संलिप्त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, 36000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह, महाराष्ट्र की पंकजा मुंडे आदि को संरक्षण देकर और इन मुद्दों पर चुप्पी साधकर मोदी ने अपना असली चेहरा दिखला दिया है। मोदी जी खुद खायेंगे और अपने हमजोलियों को खाने की पूरी छूट देंगे। कांग्रेस पार्टी 10 वर्षों के पिछले कार्यकाल में जितने घोटालों की जननी रही, भाजपा उस प्रतियोगिता में शीघ्र ही आगे निकलने की दौड़ में शामिल हो गई है।
व्यापम घोटाले में जिस तरह एक के बाद एक मौतें हो रही है, वह रहस्यपूर्ण मौतों पर बनी तमाम फिल्मों से ज्यादा रहस्यमय साबित हो रही है।
उपरोक्त तमाम नीतियों का असर अब आम जनता पर पड़ने लगा है। इसी तरह बिहार की नीतीश सरकार के तथाकथित विकासवादी एजेण्डे की भी पोल खुलती जा रही है। कृषि पर आधारित बिहार की अर्थव्यवस्था आज गहरे संकट के दौर में है। किसान आत्म हत्याएँ करने पर मजबूर है। कृषि लागत में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और कृषि उत्पादों का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान ऋण ग्रस्त है और मजबूरी में वे अपनी जान दे रहे हैं।
पिछले दिनों बिहार के हजारों नियोजित शिक्षकों, डाटा आपरेटरों, गृह रक्षकों, आंगनबाड़ी सेविका,-सहायिकाओं, आशा, कार्यकत्र्ताओं, मध्याह्न भोजन बनाने वाली रसोइयों तथा ठेका पर कार्यरत विभिन्न संस्थाओं से जुड़े कामगारों ने समान काम के लिये समान वेतन, के लिए हड़ताले, प्रदर्शन आदि का आयोजन किया है।, जिसकी अगुवाई वामपंथी दलों एवं जनसंगठनों द्वारा की गयी है।
उपरोक्त पृष्ठभूमि में वामपंथी दलों के आह्वान पर 21 जुलाई के बंद को वामपंथी प्रभाव क्षेत्र के बाहर की जनता का भी व्यापक समर्थन हासिल हुआ।
पटना में सबसे पहले सी॰पी॰आई॰(एम॰) के नेतृत्व में पार्टी कार्यालय से राज्य सचिव का॰ अवधेश कुमार, सचिव मंडल सदस्य का0 अरुण कुमार मिश्र, का0 सारंगधर पासवान, का0 रामपरी, का0 गणेश शंकर सिंह, खेतिहर मजदूर यूनियन के राज्यध्यक्ष का0 देवेन्द्र चैरसिया, राज्य महासचिव का0 भोला प्र0 दिवाकर, जनवादी नौजवान सभा के राज्य महासचिव शशि भूषण, राज्यध्यक्ष का0 मुकेश यादव, एस0एफ0आई के महासचिव का0 विजय भारती, एडवा के महासचिव का0 गीता सागर एवं पटना जिला सचिव मनोज कुमार चन्द्रवंशी के नेतृत्व में एक जत्था पटना जक्शन फ्रेजर रोड, डाक बंगला चैराहा, होते हुए गाँधी मैदान पहुँचा। वहाँ सी॰पी॰आई॰, सी॰पी॰आई॰(माले), एस0यू0सी0आई0(सी॰), आर0एस0पी0, फारवर्ड ब्लाक के साथ मिलकर दिन के 11 बजे पटना के मुख्य मार्गों से गुजरकर डाक बंगला चैराहे को जाम कर दिया गया। वहाँ एक सभा हुई सभा को सी॰पी॰आई॰(एम॰) के राज्य सचिव का0 अवधेश कुमार, सी॰पी॰आई॰(माले), के महासचिव का0 दीपांकर भट््टाचार्य, सी॰पी॰आई॰ के राज्य सचिव का0 सत्यनारायण सिंह, एस0यू0सी0आई0(कम्युनिस्ट) ने संबोधित करते हुए वैकल्पिक नीतियों के लिये संघर्ष तेज करने का संकल्प व्यक्त किया। सभा की समाप्ति के बाद सबों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
पटना की जीवन रेखा कही जानेवाली आॅटो रिक्सा का परिचालन पूरी तरह ठप्प रहा। सभी प्रमुख बाजार बंद रहे। रिक्सा, ठेला चलाने वाले तथा असंगठित मजदूरों, हाॅकरों ने भी काम काज बंद रखा।
बिहार के सभी जिलों में अभूतपूर्व बंद हुआ। दरभंगा से प्राप्त समाचार के अनुसार 15 जगहों पर शहर को जोड़ने वाली सड़कों एवं उच्च पथों को जाम कर दिया गया। 2700 सी॰पी॰आई॰(एम॰) के नेताओं एवं कार्यत्र्ताओं की गिरफ्तारी हुई।
समस्तीपुर में वैशाली एक्सप्रेस के एक घंटे तक रोककर रखा गया। पूरा शहर बंद रहा। कचहरी के सामने वाले रोड को बंद कर दिया गया। 800 नेता कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए।
बेगूसराय मंे उच्च पथ पर धरना दिया गया। सैकड़ों लोग गिरफ्तार हुए।
भागलपुर, पूर्णियाँ, कटिहार में बंद का व्यापक असर देखा गया। बाजार और परिवहन पूरी तरह बंद रहे।
चम्पारण, बेतिया, सारण, गोपालगंज, में भी भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतरें और बाजार तथा यातायात बन्द रहे।
सहरसा, खगडि़या, सीतामढ़ी में भी बंद पूरी तरह सफल रहा और इन जिलों में भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया।
वैशाली में 700 लोगों ने गिरफ्तारी दी, हाजीपुर, महुआ, लालगंज आदि इलाकों में भी लगभग पूरा बन्द दिखाई पड़ा। जमुई में रोड पर धरना देने के क्रम में 250 लोगो को गिरफ्तार किया गया। बिहार शरीफ का हिलसा, नगरनौसा, बिहार शरीफ पूरी तरह बंद रहा। राजगीर से दिल्ली जानेवाली श्रमजीवी एक्सप्रेस को घंटों रोककर रखा गया।
आरा, सासाराम, बक्सर गया, आदि में भी उच्च पथों को जाम किया गया तथा रेल परिवहन बाधित हुआ।
जहानाबाद में 500 लोगों को बंद लागू कराने के क्रम में गिरफ्तार किया गया। जहानाबाद, अरबल, गया में बंद का व्यापक रुप से सफल हुआ।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कमिटी की ओर से राज्य सचिव का0 अवधेश कुमार ने बिहार की संघर्षशील जनता को बंद की सफलता के लिए बधाई देते हुए, इस संघर्ष की आग को इतना तेज करने का आह्वान किया जिससे पूँजीवादी सामंती दलों की नीतियों को बदला जा सके और वैकल्पिक जनपक्षी नीतियों को लागू किया जा सके।