प्रधानमंत्री नहीं तो सदन नहीं : सीताराम येचुरी

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हम कोई ऐसी बात नहीं कर रहे जिसका कोई अर्थ नहीं है। हम चाहते हैं कि इस बहस का कोई अर्थ निकले और कार्यवाही की जाए। इस सुबह विपक्ष दल के नेता ने मुझसे स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया और मैंने मीडिया की खबरों पर अपनी बात रखी।

इसका हल केवल सरकार द्वारा किए गए कार्यों से ही निकाला जा सकता है। और वह तभी हो सकता है जब प्रधानमन्त्री आए और आश्वासन दें क्योंकि इस सरकार में उनके सिवा किसी और के पास ये अधिकार ही नहीं है। प्रधानमंत्री को सदन के सामने आकर ये आश्वासन देना ही होगा

बहस के बाद उसपर कार्यवाही आवश्यक है अगर उचित कदम ही नहीं उठाए जा रहे तो फिर बहस किस काम की? इस सरकार में इन कदमों को उठाने का एकाधिकार केवल प्रधानमंत्री के पास है। हमारी केवल यही मांग है कि वे सदन में आए 
आखिरी बार जब इस सदन में यह बात उठी थी तो उन्होंने आश्वासन दिया था कि यह फिर से नहीं होगा पर ठीक उसके बाद ही उनके पार्टी के अन्य सदस्य जो सांसद भी हैं, वे लगातार भड़काऊ और उत्तेजित करने वाले भाषण देते रहे। तो फिर ऐसे आश्वासन किस काम के? और कोई मंत्री भी आश्वासन नहीं दे रहा। इसीलिए हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री आकर यह सुनिश्चित करें कि यह दोबारा नहीं होगा