गोवा राज्य सम्मेलन का प्रतिवेदन

सीपीआई(एम) के गोवा राज्य कमिटी का 16वाँ राज्य सम्मेलन वास्को-द-गामा में दिनांक 29 मार्च 2015 को

सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ । सम्मेलन का आह्वान है : गोवा में पार्टी को मज़बूत करो और वाम एवं जनवादी मोर्चा

बनाओ ।

15वें राज्य सम्मेलन के तुरन्त बाद पार्टी के संस्थापक सदस्य कॉमरेड गोपीनाथ वमन राव का निधन हुआ था । उनके

नाम पर सम्मेलन भवन का नाम रखा गया था कॉमरेड गोपीनाथ वमन राव मंच । ट्रेड युनियन, किसान, वकील एवं

बुद्धिजीवी मोर्चों में कार्यरत 6 ब्रांचों से सेंसेक्स प्रतिनिधि सम्मेलन में उपस्थित थे ।

गोवा में पार्टी के जानेमाने नेता कॉमरेड सुरेश एस नायक ने सम्मेलन में झंडोत्तोलन किया । दुनिया भर में, विभिन्न

संघर्षों में श्रमजीवी जनता ने जो अनगिनत त्याग स्वीकारे हैं, कॉमरेड नायेक ने उन्हे याद किया । उन्होने प्रतिनिधियों

को दृढ़तापूर्वक साम्यवाद के आदर्शों पर चलते रहने का आह्वान किया । उन्होने ध्यान दिलाया कि आज भी पश्चिम

बंगाल, केरल एवं भारत के अन्य राज्यों में सैंकड़ों पार्टी कार्यकर्त्ता एवं हमदर्द हमले के शिकार हैं; उन्हे परेशान किया जा

रहा है यहां तक कि हत्यायें हो रही हैं सिर्फ लाल झंडा हाथों में लेकर अपने अधिकारों के लिये खड़े होने के कारण ।

विशेष रूप से बनाये गये शहीद स्मारक में पुष्प-अर्पण के बाद सत्र की शुरुआत तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल – कॉमरेड

जतिन नायेक, कमलाकान्त गडेकर एवं विक्टर साल्वो ब्रागांजा - के चुनाव से हुई । शहीदों का नमन करते हुये तथा

भारत एवं अन्यत्र साम्यवादी एवं जनवादी आन्दोलनों बड़े नेताओं के निधन पर श्रद्धा व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पारित

किये गये ।

कॉमरेड विवेक मन्टेइरो ने तब औपचारिक तौर पर सम्मेलन का उद्घाटन किया । उन्होने रेखांकित किया कि पिछली बार

15वाँ राज्य सम्मेलन के दौरान जब जनवरी 2012 में आखिरीबार मिले थे तब केन्द्र में संप्रग-2 की तथा गोवा में

कांग्रेस-नीत गठबन्धन की सरकार थी । आज एक बड़ा बदलाव है । मार्च 2012 से गोवा में भाजपा-नीत गठबन्धन की

सरकार है जबकि केन्द्र में मई 2014 से नरेन्द्र मोदी की सरकार है । श्रम कल्याण कानूनों को निष्प्रभावी बनाये जाने,

भूमि-दखल अध्यादेश जारी किये जाने, विभिन्न साम्प्रदायिक व फूटपरस्त कानूनों के पारित किये जाने से संवैधानिक

आदर्शों की अनदेखी का खतरा स्पष्टत: मौजूद दिखता है । सार्वजनिक जनवितरण प्रणाली एवं मनरेगा को खत्म किये

जाने के कदम उठाये जा रहे हैं । कालाधन वापस लाने का शोरशरावा अब फुसफुसाहट से भी कम हो चुकी है । उन्होने

कहा कि लगता है कि अच्छे दिन सिर्फ उन लोगों के लिये आया है जो दस लाख का सूट पहन सकते हैं । पिछले एक

साल में सिर्फ एक बड़े व्यापारिक घराने की सम्पत्ति में 27000 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई है । विभिन्न राष्ट्रीय सम्पदायें

बड़े कार्पोरेटों को उनकी इच्छानुसार लूट के लिये दिये जा रहे हैं । एकताबद्ध प्रतिरोध को तोड़ने के लिये भाजपा, राष्ट्रीय

स्वयंसेवक संघ एवं उनके अन्य संगठन सक्रिय तौर पर पूरे देश में साम्प्रदायिक एवं जातिवादी भावनाओं को उभार रहे हैं

। नरेन्द्र दाभोलकर एवं कॉमरेड गोविन्द पनसारे सरीखे बुद्धिजीवियों की हत्या इन्ही ताकतों द्वारा की गई । दूसरी ओर,

हाल में हुये दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत दर्शाती है कि दक्षिणपंथी हमले को जनवादी

तरीकों से रोकना संभव है । नतीजतन, मुद्दा यह है कि किस तरह हमारी पार्टी को मज़बूत बनाया जाय ताकि वह

अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभा सके । उन्होने कहा कि पणजी विधानसभा उपचुनाव से हमें, गोवा में एक धर्मनिरपेक्ष,

वाम एवं जनतांत्रिक शक्ति के निर्माण के लिये सही शिक्षा लेनी चाहिये ।

तदोपरान्त राज्य सचिव कॉमरेड थलमन पेरेइरा ने सम्मेलन के सामने राज्य कमिटी का राजनैतिक-सांगठनिक कार्य

प्रतिवेदन प्रस्तुत किया । प्रतिवेदन में पिछले सम्मेलन के बाद से आज तक की अवधि में गोवा के महत्वपूर्ण राजनैतिक

घटनाक्रम के विश्लेषण किये गये तथा श्रमजीवी जनता के अलग अलग तबकों द्वारा किये गये विभिन्न संघर्षों का

जायजा लिया गया । प्रतिवेदन में नोट किया गया कि विकास के पूंजीवादी-जमीन्दारी रास्ते के बढ़ते आर्थिक संकट के

कारण आज जनता का विभिन्न तबका भाजपा के विरोध में है । मई 2014 के पहले जनता के इस विरोध की

अभिव्यक्ति दबी हुई थी । मई 2014 के बाद यह विरोध का स्वर मुखर हो रहा है और फैल रहा है । विरोध मुख्यत:

श्रमजीवी जनता के असंगठित - बहुजन, दलित, आदिवासी या अल्पसंख्यक - तबकों से उठ रहा है । प्रतिवेदन में यह

नोट किया गया कि तेजी से बदलते राजनैतिक हालातों के बीच, अपने सीमित साधनों के बावजूद पार्टी इस बढ़ते विरोध

एवं प्रतिरोध के साथ काम करने में सक्षम रही है ।

प्रतिवेदन में, गोवा में पार्टी की ताकतों एवं कमजोरियों का विश्लेषण किया गया । ब्रांच-स्तरीय राजनीतिक गतिविधियों

को नियमित किये जाने की जरूरत को रेखांकित किये जाने के साथ साथ प्रतिवेदन ने निष्कर्ष निकाला कि सामुहिक

कामकाज ही गोवा में पार्टी को मज़बूत किये जाने की कुंजी है । प्रतिवेदन में, गोवा में पार्टी को मजबूत करने तथा साथ

ही साथ, वाम एवं जनतांत्रिक मोर्चा के निर्माण का आह्वान किया गया ।

सामान्य बहस-मुबाहिसे के बाद प्रतिवेदन को सर्वसम्मति से पारित किया गया । सम्मेलन में चार प्रस्ताव – गोवा के

खनन उद्योग पर, गोवा में कृषि की स्थिति पर, गोवा में औद्योगिक स्थिति पर एवं गोवा में साम्प्रदायिक स्थिति पर –

पारित किये गये ।

सम्मेलन में 14 सदस्यीय राज्य संगठन कमिटी एवं 5 सदस्यीय राज्य सचिवमंडल चुना गया । सचिवमंडल के सदस्य हुये

कॉमरेड थलमन पी पेरेइरा, सुरेश एस नायेक, नरेश के शिगाओंकर, कमलाकन्त के गडेकर एवं जतिन आर नायेक ।

सम्मेलन में कुछ और युवा और आगे बढ़ रहे साथियों को स्थाई आमंत्रितों के तौर पर राज्य कमिटी बैठकों में शामिल

करने का प्रस्ताव पारित किया गया । सम्मेलन में विशाखापतनम में होने वाले 21वीं पार्टी कांग्रेस के लिये एक प्रतिनिधि

एवं एक वैकल्पिक प्रतिनिधि का चुनाव किया गया ।

प्रमाण समिति के प्रतिवेदन से यह खुलासा हुआ कि 9 प्रतिनिधि 45 वर्ष से कम उम्र के थे जबकि 13 प्रतिनिधि पिछले

10 वर्षों के अन्दर पार्टी के सदस्य बने थे । सापेक्ष तौर पर इस युवा प्रतिनिधित्व के साथ था यह तथ्य कि किए

प्रतिनिधि की शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक के उपर थी ।

सम्मेलन का समापन अन्तर्राष्ट्रीय गीत के हिन्दी रुपान्तर के आवेगपूर्ण गायन के उपरान्त नारों के साथ हुआ ।