पर्यटन राज्य मंत्री को रितोब्रता बनर्जी का ख़त

सेवा में, डॉ. महेश शर्मा पर्यटन राज्य मंत्री( स्वतंत्र प्रभार) भारत सरकार मुझे ज्ञात हुआ है कि राष्ट्रीय पर्यटन पालिसी का मसौदा मंत्रालय की वेबसाइट पर 1 मई 2015 को डाला गया है जिसमे 15 मई तक प्रतिक्रिया मांगी गई है । अगर देखा जाए तो इस मसौदे को पढने, इस पर बहस करने और जनता के बीच बात करने के लिए यह काफी कम समय है ।इसके लिए और अधिक समय की आवश्यकता है । पर्यटन से खेती और मछलीपालन करने वाले समुदाय के साथ आदिवासी वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है । आम जनता के प्रति सरकार का निराशावाद और सौतेला बर्ताव इस बात से ही झलकता है कि इस मसौदे को स्थानीय भाषाओँ में नहीं प्रकाशित किया गया । मसौदे में कई मुद्दे सामने आए हैं जो निम्नलिखित हैं:- 1) पर्यटन पालिसी का मसौदा मौजूदा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग को नज़र में रखते हुए बने गई है और वह उसी का पोषण करती है । 2) इस मसौदे में पर्यटन के नकारात्मक बिन्दुओं को नजरंदाज किया गया है । मौजूदा मसौदा उस जरूरत की तरफ आखं बंद करने का काम करेगा । 3) इस मसौदे में पर्यटक स्थल को चिन्हित करने के तरीके को स्पष्ट नहीं किया गया है । “संधारणीय” और “समुदाय के लिए हितकारी” जैसे शब्द काफी डांवाडोल हैं । 4) ऊपर लिखित मुख्य पहलुओं को अनदेखा करते हुए यह ऐसे भव्य पर्यटन उद्योग का दावा करता है जो अतुलनीय होगा और जिससे दोनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संभावनाओं का सम्पूर्ण उपयोग किया जा सकेगा । सरकार के इस कदम से उद्योगपतियों के लिए हितकारी ऐसे उद्योग का जन्म होगा जो पर्यटन के नाम पर देश के प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों का दोहन करेगा । 5) इस मौसदे से देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर भी असर पहुंचेगा । पर्यटन को समाधिकार की सूचि में डाल कर सारे निर्णय राज्य स्तर पर लिए जायेंगे और इसमें ग्राम सभा, नगर पालिका और निगम, राज्य पर्यटन विभाग और पर्यटन विकास कारपोरेशन की भागीदारी नहीं होगी । 6) इस समय को ध्यान रखते हुए दीर्घ-कालिक, सामाजिक और पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देना होगा पर मौजूदा मसौदा इसे पूरी तरह नज़रंदाज़ कर रहा है । मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि मंत्रालय मई, 2015 में ही इसे लागू कर देना चाहता है । पर्यटन एक ऐसा मुद्दा है जो लम्बे समय तक लोगो के जीवन पर गंभीर प्रभाव छोड़ने की काबिलियत रखता है । आखिर जनता के हितों को नजरंदाज कर इस मसौदे को अचानक लाने की क्या जरुरत पड़ गई थी? पालिसी के गठन में व्याप्त कमियों को देखते हुए इस प्रक्रिया को एक बार फिर शुरू करना चाहिए । सम्बंधित और प्रभावित लोगो के बात कर, पर्यटन क्षेत्र में काम कर रही सिविल सोसाइटीज को विश्वास में लेकर इस प्रक्रिया को विस्तृत बनाना चाहिए । मेरे अनुमान से इस पूरी प्रक्रिया में 1 साल का समय लगेगा । सांसद, और लोकसभा के परिवहन, पर्यटन और संस्कृति समिति का सदस्य होने के नाते मैं मंत्रालय से अनुरोध करता हूँ कि इस पालिसी की घोषणा में समय लिया जाए और वर्तमान मसौदे में परिवर्तन लाने के लिए संवैधानिक एवं विस्तृत तरीके अपनाए जाए ।