Views That Matter

हाल ही में मेगी नूडल्स के इर्द गिर्द सुरक्षा की चिंता का विवाद जोकि 2 मिनट में तुरंत खाए जाने वाली स्विस बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले का ब्रांड है – ने कईं गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं जो सवाल मीडिया रिपोर्ट्स में उपलब्ध नहीं हैं. यह पूरा का पूरा विवाद उस वक्त खड़ा हुआ जब उत्तर प्रदेश फ़ूड एंड ड्रग विभाग के एक ईमानदार इंस्पेक्टर ने मेगी इंस्टेंट नूडल की जांच कराई और उसमें उसने विषाक्त और नाजायज सामग्री की उपस्थिति पाई. 

“ आप हमें आंकड़े दे रहे हैं ...आंकड़ों से हमारा पेट नहीं भरेगा. अपनी पत्नी से कीमतों की सच्चाई के बारे में  पूछिए,” इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार पिछले हफ्ते यह बात बी.एन.राय जो कि भारतीय मजदूर संघ के नेता है ने मंत्री से कही. संघ परिवार के न्रेतत्व में से एक की यह पितृसत्तात्मक धारणा ही है कि केवल महिलायें ही या महिलाओं को ही कीमतों के बारे में जानती हैं कोई आश्चर्य की बात नहीं है. 

मोदी सरकार श्रम सुधारों को लागू करने के लिए बहुत उत्सुक दिखाई दे रही है क्योंकि उद्योगपतियों की तरफ से इसकी मांग काफी लम्बे अर्शे की जा रही है. अक्तूबर 2014 में प्रधानमंत्री ने भारत में बनाओ नारे की रौशनी में श्रम के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा श्रम से जुड़े मुद्दों को मजदूरों के नजरिये से देखने की जरूरत है बजाय मालिकों के. 

जिस भूमि के इर्द-गिर्द साहित्य जन्म लेता है और संस्कृति उभरती है आज वही भूमि खतरे में पड़ गयी है. हर फसल किसानों और ग्रामीण जनता के लिए नयी खुशहाली लाती है. यही वह समय होता है जब किसान, आदिवासी, मछुवारे या ज़मीन से जुड़े सभी लोग फसल से जुड़े त्योहारों को मनाते हैं. 

फ्रांस के चार्ली हेब्दो के दफ्तर पर अल-कायदा या आई.एस. से जुड़े आतंकवादियों द्वारा हमला जिसमें 12 लोग मारे गए और उनमे से कुछ जाने-माने कार्टूनिस्ट थे, बिना किसी शक के एक घृणित कार्य है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। यह घटना कुछ परेशान करने वाले सवाल खड़े करती है। क्या दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैली “मैं चार्ली हूँ” की भावना “हेब्दो” के लिए एकजुटता का प्रदर्शन है? या यह उनके कार्टून्स की स्वीकृति भी है? 

मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान अमरीका-भारत ने जो संयुक्त बयान जारी किया उसने उन दो भारतीय कानूनों के दरवाजे खोल दिए जिन्हें भारतीय संसद ने पारित किया था।