परिचय

1st Polit Bureauभारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गठन 30 अक्टूबर से 7 नवम्बर 1964 को कलकत्ता में हुयी सातवीं पार्टी कांग्रेस में हुआ. सी.पी.आई.एम. का जन्म राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन में पैदा हुए संशोधनवाद और संकुचित सोच के विरुद्ध संघर्ष और मार्क्सवाद-लेनिनवाद की वैज्ञानिक और क्रांतिकारी सिद्धांत की रक्षा के लिए और भारत की ठोस स्थिति में इसकी सही तरीके से लागू करने के लिए हुआ था. सी.पी.आई.एम. साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष और विभक्त कम्युनिस्ट पार्टी की क्रांतिकारी विरासत की प्रतिनिधि है जिसका गठन 1920 में हुआ था. साल दर साल, पार्टी देश में एक मुख्य वामपंथी ताकत के रूप में उभर कर आई है.

स्थापना के बाद से ही सी.पी.आई.एम. की ताकत में तेजी से बढ़ोतरी हुयी है. पार्टी की सदस्यता जोकि स्थापना के वक्त 118,683 थी, 2013 में बढ़कर 10,65,406 हो गयी है. पार्टी मार्क्सवाद-लेनिनवाद को भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से लागू करना चाहती है और एक ऐसी रणनीति बवं कार्यनीति बनाना चाहती है जिससे कि जनता की जनवादी क्रान्ति का रास्ता तैयार हो, और जो भारत के लोगों के जीवन को पूरी तरह बदल देगी. सी.पी.आई.एम. इस बुनियादी बदलाव को लाने के लिए एक कार्यकर्म के तहत साम्रज्यवाद, बड़े पूंजीपति और भूमि के स्वामित्व के खात्मे के लिए व्यस्त है. सी.पी.आई.एम. के न्रेतत्व्कारी वामपंथी पार्टी होने के नाते वाम व जनवादी मोर्चे के निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है जोकि मौजूदा बुर्जुआ-भूस्वामी गठबंधन का सच्चा विकल्प बन सकता है.

पिछले कुछ चुनावों में पार्टी कुल सीट का औसतन 15% सीटों पर चुनाव लडती रही है, सी.पी.आई.एम. करीब 5-6 प्रतिशत मत पाती रही है.(भारत “फर्स्ट पास्ट द पोस्ट” चुनावी व्यवस्था को मानता है न कि समानुपातिक चुनाव प्रणाली को). 2014 के लोक सभा (भारतीय संसद का निचला सदन) चुनाव में सी.पी.आई.एम. को 9 सीटें मिली. संसद के निचले सदन की कुल 543 सीटें है. राज्य सभा (उपरी सदन) में सी.पी.आई.एम. के 9 सदस्य हैं.

 सी.पी.आई.एम. एक राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करती है. सी.पी.आई.एम. के न्रेतत्व वाली वाममोर्चा सरकार ने पश्चिम बंगाल में बिना किसी रुकावट के 1977 से 2011 तक शासन किया. केरल में पार्टी सरकार में आती जाती रहती है. वर्तमान में वाम-जनवादी मोर्चा मुख्य विपक्ष में है. त्रिपुरा में सी.पी.आई.एम. पहलीबार 1977 में सत्ता में काबिज़ हुयी थी. यद्दपि बड़ी धांधलियों के चलते पार्टी सभी चुनाव हारती गयी जब तक कि 1988 में फिर से सत्ता में नहीं आ गयी. यद्दपि असमान है लेकिन पार्टी का आठ विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व है.